FILE
मौलाना अहमद बुखारी लखनऊ के गोमती होटल में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान जब एक पत्रकार ने उनसे अयोध्या स्थित मंदिर/मस्जिद से जुड़े सवाल किए तो उन्होंने अपना आपा खो दिया। बुखारी बाबरी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच द्वारा अयोध्या मामले पर दिए गए फैसले पर अपनी राय व्यक्त करने राजधानी लखनऊ आए थे।
स्थानीय पत्रकार मो. अब्दुल वाहिद चिश्ती जो कि साप्ताहिक समाचार पत्र 'दास्ताने अवध' के संपादक हैं, ने जब शाही इमाम से अयोध्या विवाद से संबधित एक प्रश्न पूछा तो मौलाना बुखारी भूल गए कि वे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे हैं।
वाहिद ने मौलाना से सिर्फ यह जानना चाहा था कि सन 1828 के खसरे में अयोध्या में राम जन्म स्थान राजा दशरथ के नाम दर्ज है तो क्यों न सम्पत्ति हिन्दुओं को सौंप दी जाए। पत्रकार के इस सवाल पर मौलाना आपा खो बैठे और बुरा भला कहने लगे। उन्होंने पत्रकार को एजेंट कहकर गालियाँ देना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में मौलाना आगबबूला होकर तेजी से उस पत्रकार की ओर मारपीट करने के लिए बढ़े। उनके साथ के लोगों ने किसी तरह उन्हें रोका। मौलाना उसे गालिया दे रहे थे और उन्होंने अपने आदमियों से कहा कि मारो साले को। इतना ही नहीं मौलाना ने यह भी कहा कि वे सिर कलम करवा देगें।
FILE
मस्जिद पर नहीं छोड़ेंगे दावा : मौलाना का कहना है कि हिन्दुस्तानी मुसलमान बाबरी मस्जिद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच के फैसले को पूर्ण तौर पर रद्द करते हैं क्योंकि इस फैसले में देश के संविधान, कानून और न्याय की सीमाओं का उल्लघंन किया गया है। उन्होंने ने कहा कि यह फैसला दस्तावेजी प्रमाणों को छोड़कर आस्था की बुनियाद पर किया गया है। बुखारी ने कहा कि उनका स्पष्ट दृष्टिकोण है कि हम बाबरी मस्जिद से किसी भी सूरत में अपना दावा नहीं छोड़ेगें।
दिग्विजयसिंह पर आरोप : मौलाना ने कहा कि बाबरी मस्जिद विवाद पर शुरू से आज तक कांग्रेस ने सांप्रदायिकता बढ़ाने और कदम कदम पर तमाम ऐसे काम किए जिससे फिरकापरस्तों का हौसला बढ़ा और देश के सेकुलर ताने-बाने को नुकसान पहुँचा। मौलाना ने यहाँ तक कहा कि 12-13 अगस्त की रात को कांग्रेस के नेता दिग्विजयसिंह ने लखनऊ आकर जजों पर दबाव बनाया है।
No comments:
Post a Comment