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उम्मीदों के विपरीत शुभारंभ समारोह के लिए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में प्रवेश करने में किसी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ी। जहाँ खेलगाँव या किसी अन्य स्पर्धा स्थल में प्रवेश के लिए कम से कम दो स्थानों पर सुरक्षा जाँच से गुजरना पड़ता था, वहीं शुभारंभ समारोह के स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में मात्र एक जगह सुरक्षा जाँच की गई। इस वजह से मीडियाकर्मी बेहद खुश नजर आ रहे थे।
यह अवश्य था कि यहाँ बड़ी बारीकी से जाँच की गई थी और कैमरे सिर्फ फोटोग्राफर्स को ही अंदर ले जाने की अनुमति दी गई थी। वैसे सुरक्षा व्यवस्था बेहद सख्त थी और सभी कड़ी जाँच के बाद ही अंदर प्रवेश कर पा रहे थे।
भारत को जहाँ कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी कमजोर तैयारियों की वजह से आलोचनाओं का शिकार होना पड़ा है, वहीं ग्लासगो में 2014 में होने वाले अगले कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियाँ अभी से जोरों पर हैं। कुछ स्कॉटिश पत्रकार तो शुभारंभ समारोह में ही 'ग्लासगो 2014' की टी-शर्ट पहनकर आए हुए थे।
दर्शकों ने दिखाया उत्साह : इन गेम्स में जहाँ अधिकांश खेल स्पर्धाओं के टिकट अभी भी नहीं बिके हैं, वहीं शुभारंभ समारोह को लेकर दर्शकों में गजब का उत्साह था और रविवार की दोपहर 3 बजे से ही स्टेडियम में प्रवेश को लेकर लंबी-लंबी लाइनें लग गई थीं।
सन्नाटा पसरा था दिल्ली में : दिल्ली सरकार द्वारा कॉमनवेल्थ गेम्स के शुभारंभ तथा समापन समारोह के लिए अवकाश घोषित किए जाने के कारण रविवार को शुभारंभ के अवसर पर दिल्ली में हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। रविवार होने के कारण सरकारी तथा प्राइवेट कार्यालय तो वैसे ही बंद थे, लेकिन बाजार भी पूरी तरह बंद थे।
हमेशा लोगों से भरे रहने वाले क्षेत्र कनॉट प्लेस, चाँदनी चौक में भी सुबह से गजब की शांति थी। कनॉट प्लेस तथा अन्य कई क्षेत्र तो वैसे भी रविवार को बंद रहते हैं, लेकिन आज अलग ही खामोशी थी। यहाँ तक की खाद्य सामग्रियों की दुकानें भी बंद थीं।
टूरिस्ट हुए परेशान : इस संपूर्ण बंद की वजह से बाहर से घूमने आए पर्यटकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्हें न तो बाहर कुछ खाने-पीने को मिल रहा था और न ही वे शॉपिंग कर पा रहे थे। इस प्रतिनिधि ने स्वयं कुछ टूरिस्टों को टैक्सी चालकों से यह निवेदन करते हुए देखा कि उन्हें सामान कहाँ मिल सकता है।
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इस प्री शो की शुरुआत गायिका शिवानी कश्यप ने 'सजना आ भी जा' गीत के साथ की। शिवानी की करीब 18 मिनटों की प्रस्तुति के दौरान दर्शकों में उत्साह बना हुआ था। इसके बाद एक स्थानीय स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों की झलकियाँ पेश कीं।
वीवीआईपी विशाल स्क्रीन पर : स्टेडियम में मौजूद दर्शकों को एक बात अखर रही थी कि जब भी कोई वीवीआईपी स्टेडियम में आ रहा था तो उसे स्टेडियम के अंदर मौजूद दो विशाल स्क्रीन पर दिखाया जा रहा था, लेकिन उसके बारे में कुछ भी बताया नहीं जा रहा था।
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